चार्जर से मिली मुक्ति! आपके कपड़ों से चार्ज हो जाएगा स्मार्टफोन, बस पलक झपकते ही फुल हो जाएगी बैटरी

चार्जर से मिली मुक्ति! आपके कपड़ों से चार्ज हो जाएगा स्मार्टफोन, बस पलक झपकते ही फुल हो जाएगी बैटरी

Cloth charging: अब आने वाले समय में स्मार्टफोन यूजर्स को अपने साथ चार्जर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि उनके कपड़े ही चार्जर का काम करेंगे और स्मार्टफोन की बैटरी को पलक झपकते ही फुल कर देंगे.



आज दुनियाभर में तकनीक इतनी आगे निकल चुकी है जिसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं, कुछ तकनीकें ऐसी हैं जिनकी वजह से हमारी जिंदगी ही बदल गई है. आपको बता दें कि आज हम सभी स्मार्टफोन इस्तेमाल करते हैं और इसे चार्ज करने के लिए साथ में एक चार्जर रखते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कुछ ही समय में चार्जर की छुट्टी होने वाली है और कंपनियां शायद आपको स्मार्टफोन के साथ चार्जर ऑफर ही नहीं करेंगी और ना ही कोई चार्जिंग केबल. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मार्केट में E-Textile नाम की तकनीक आ चुकी है जिसमें आपके कपड़े ही स्मार्टफोन को चार्ज करेंगे. 

यह कारनामा किया है नॉटिंगघम ट्रेंट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने। उन्‍होंने खास तरह का फैब्रिक बनाया है। यह अपने अंदर सौर ऊर्जा यानी सोलर पावर को जुटा सकता है। यह इतनी सौर ऊर्जा होती है जिसकी मदद से आसानी से मोबाइल फोन या स्‍मार्टवॉच को चार्ज किया जा सकता है।

फैब्रिक में लगे होते हैं सोलर सेल
यूनिवर्सिटी के एडवांस्‍ड टेक्‍सटाइल्‍स रिसर्च इंस्‍टीट्यूट ग्रुप (ARTG) ने यह कपड़ा विकसित किया है। इसे अभी प्रोटोटाइप माना जा रहा है। आगे चलकर इसका कमर्शियल स्‍केल पर प्रोडक्‍शन शुरू किया जा सकता है। इस बनाने में बहुत छोटे 1,200 फोटोवोल्‍टेइक सेल (सोलर पैनल) का इस्‍तेमाल होता है। ये सूरज की रोशनी से 400 मिलीवॉट इलेक्‍ट्र‍िक एनर्जी बना लेते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के फैब्रिक को रोजमर्रा के कपड़ों में शामिल किया जाएगा। ऐसे कपड़ों में जैकेट्स या बैकपैक शामिल हैं।

ये छोटे सोलर सेल ड्यूरेबल होते हैं। इनमें खास तरह की फ्लेक्सिबल वायरिंग की जाती है। इन्‍हें वॉटरप्रूफ पॉलीमर रेसिन में लपेट दिया जाता है। इस तरह फैब्रिक को धुलने पर पानी से इन सोलर सेल को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। हर एक सेल की लंबाई 5 मिमी और चौड़ाई 1.5 मिमी होती है। इससे फैब्रिक आरामदेह होने के साथ चार्जिंग के काम के लिए भी पूरी तरह तैयार होता है।

लोगों की ज‍िंदगी होगी आसान
ARTG प्रोजेक्‍ट को देखने वाले डॉ. थियोडोर ह्यूज-रिले ने कहा कि यह प्रोटोटाइप आने वाले समय में ई-टेक्‍सटाइल्‍स की क्षमता को दिखाता है। सौर ऊर्जा का ज्‍यादा से ज्‍यादा उपयोग करने के लिए दुनियाभर में कोशिश जारी है। सोलर अप्‍लायंस, ऑटो और पेंट जैसे क्षेत्रों में काफी कुछ किया जा चुका है। सोलर क्‍लोदिंग इनमें नया क्षेत्र है

ई-टेक्‍सटाइल पर पहले भी काम हो चुका है। फिनलैंड में आल्‍टो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस पर दो दशक तक काम किया। उन्‍हें ऐसा क्‍लोदिंग आइटम बनाने में सफलता मिल चुकी है जिसे प्‍लग में लगाकर चार्ज करना पड़ता था। फिर इससे दूसरे आइटमों को चार्ज किया जा सकता था। लेकिन, नॉटिंगघम के रिसचर्स ने जो ई-टेक्‍सटाइल विकसित किया है, उसकी टेक्‍नोलॉजी बिल्‍कुल नई है।

डॉ थियोडोर कहते हैं कि इलेक्‍ट्रॉनिक टेक्‍सटाइल में वाकई बड़ा बदलाव लाने की क्षमता है। यह टेक्‍नोलॉजी के साथ लोगों को आसानी से जोड़े रखने की कुव्‍वत रखता है। ई-टेक्‍सटाइल प्‍लग में लगाकर उपकरणों को चार्ज करने की जरूरत खत्‍म कर सकता है। इससे लोगों की जिंदगी आसान होगी। चलते-फिरते उनके इलेक्‍ट्रॉनिक डिवाइस चार्ज हो जाएंगे। इसके लिए इन्‍हें अलग से चार्ज करने की जरूरत खत्‍म हो जाएगी।

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