राधन छठ का त्योहार, जानिए महत्व रीति-रिवाज

 

राधन छठ का त्योहार, जानिए महत्व रीति-रिवाज


राधन छठ का गुजरातियों में बहुत खास महत्वपूर्ण दिन होता है। गुजराती कैलेंडर के अनुसार, शीलता सतम से एक दिन पहले पड़ता है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष सप्तमी को शीतला सतम मनाया जाता है।  इसलिए, राधन छठ हमेशा उससे एक दिन पहले यानी छठ के दिन मनाया जाता है। उत्तर भारत में भी इस त्योहार  को मनाया जाता है।  
इस त्योहार को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। गुजरात में इसे राधन छठ को कहीं यह पर्व हलषष्ठी, हलछठ , हरछठ व्रत, चंदन छठ, तिनछठी, तिन्नी छठ, ललही छठ, कमर छठ, या खमर छठ के नामों से भी जाना जाता है।
राधन छठ पर भोजन की व्यवस्था करते हैं। खाना पकाने के लिए महत्वपूर्ण दिन होने के कारण, इस दिन का नाम राधन छठ पड़ा  दिन खाना बनाया जाता है।
इस त्यौहार में माता शीलता की पूजा की जाती है। राधन छठ एक स्वतंत्र त्योहार नहीं है। यह त्योहार शीतला सतम का हिस्सा है। जो देवी शीतला देवी को समर्पित एक धार्मिक त्योहार है। यह माता शीलता का दिन है। शीतला सप्तमी के दिन गुजराती घरों में चूल्हे नहीं जलाने की परंपरा है। अधिकांश गुजराती परिवार अगले दिन राधन छठ पर भोजन की व्यवस्था करते हैं।


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